*श्रुतम्-219*
अनाथ बच्चों को संस्कारित जीवन देता- नेले
नेले शब्द का कन्नड़ भाषा में अर्थ होता है *आश्रम*। इसलिए बेंगलुरु में निराश्रित बच्चों को आश्रय देने वाले प्रकल्प का नाम ही हिंदू सेवा प्रतिष्ठान ने नेले रखा है। प्रतिष्ठान मानता है कि निराश्रित बच्चों को आश्रय और शिक्षा देकर संस्कारित नागरिक बनाना समाज का उत्तरदायित्व है।
ऐसे निराश्रित बच्चे महानगरों में कचरा बीनते घूमते रहते हैं या कई अन्य छोटे-मोटे काम करते हैं। इनमें से अनेक बच्चों के अपने परिवार भी होते हैं लेकिन आर्थिक विपन्नता के कारण ये परिवार बच्चों का उदरनिर्वाह भी सही से नहीं कर पाते। इस स्थिति में उनके परिवारों द्वारा उनकी शिक्षा और पालन-पोषण की आशा ही नहीं की जा सकती। पेट भरने का रास्ता खोजते खोजते कई बच्चे अपराध जगत की चपेट में आ जाते हैं। इन बच्चों को संवरने का अवसर मिलना चाहिए। इसी हेतु से पुलिस या सामाजिक कार्यकर्ता ऐसे पकड़े गए बच्चों को नेले में लाकर छोड़ते हैं। हिंदू सेवा प्रतिष्ठान ने यह प्रकल्प वर्ष 2000 में आरंभ किया था। आज कर्नाटक राज्य में इसके 10 केंद्र चल रहे हैं और इन केंद्रों ने दो 260 से अधिक लड़के लड़कियों को आश्रय दिया है। इन बच्चों को शालेय शिक्षा के साथ सांस्कृतिक मूल्य, सामाजिक जागृति, क्रीड़ा, संगीत, अभिजात कला, संस्कृत और योग भी सिखाया जाता है।
नेले में आश्रय लेने वाले बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास किया जाता है। कुछ बच्चे शिक्षा में विशेष रूचि नहीं रखते। ऐसे बच्चों में शिक्षा के प्रति लगाव निर्माण के हर संभव प्रयास किए जाते हैं। लेकिन जो बच्चे पढ़ना ही नहीं चाहते उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर रोजगार दिलाने के प्रयास भी किए जाते हैं। नेले में आकर शिक्षित होने वाले या स्वरोजगार प्राप्त करने वाले बच्चों के परिवार, उनके बच्चों को जीवन जीने की सही राह दिखाने के लिए नेले के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।