*श्रुतम्-137*
इस समय देश और धर्म को किसी महान आत्मा के बलिदान की आवश्यकता है
एक दिन गुरु तेग बहादुर कश्मीर से आए अत्याचार पीड़ित लोगों की करुण कथा सुनकर कुछ उदास बैठे थे। उन्हें हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार देखकर मार्मिक पीड़ा होती थी। बालक गोविंद राय अपने पिता के पास बैठा था। उसने पिताजी से उनकी उदासीनता का कारण पूछा।
गुरु तेग बहादुर ने कहा -“बेटा इस समय देश और धर्म को किसी महान आत्मा के बलिदान की आवश्यकता है।” बालक गोविंद की तेजस्विता मुखर हो उठी। उसने कहा पिताजी आप से बढ़कर महान आत्मा इस समय संसार में और कौन हो सकता है? आप ही धर्म की रक्षा करें।”
ने बालक की बात सुनकर मन ही मन में दृढ़ निश्चय करके उन्होंने कश्मीर के अत्याचारी नवाब को कहला भेजा यदि वह गुरु तेग बहादुर को इस्लाम स्वीकार करा दे तो सब हिंदू मुसलमान हो जाएंगे।
इस बात का पता चलने पर क्रूर अत्याचारी औरंगजेब ने गुरु जी को दिल्ली बुलाकर… बड़ी नृशंसता पूर्वक उनका वध करवा डाला। गुरु गोविंद राय ने पिताजी के बलिदान के बाद पांच प्यारों का चयन किया उसके नामों में “सिंह” शब्द जोड़ते हुए खालसा पंथ का निर्माण किया और मुगलों के दांत खट्टे कर दिए।