*श्रुतम्-229*
*चरित्र की उज्ज्वलता*
अकबर ने *अब्दुल रहीम खानखाना* को प्रताप पर आक्रमण करने भेजा। यह उसका छठा आक्रमण था। उसमें भी अकबर की फजीहत ही हुई। महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह खानखाना के शेरपुर डेरे पर आक्रमण कर उसकी *बेगम आनी खान* व पूरे परिवार को उठा लाया। प्रताप ने अपने पुत्र को समझाया *हम हिंदू हैं, पराई स्त्री हमारे लिए मां के समान है और तुम इन्हें उठा लाए।*
तुमने गलती की है, अब तुम इन्हें ससम्मान लौट आओ। अमर सिंह ने क्षमा मांग कर बेगम को उनके डेरे पर लौटा दिया। इसका अब्दुल रहीम खानखाना पर गहरा प्रभाव हुआ। बेगम ने खानखाना को मीना बाजार में किरण दे का हाथ पकड़ने और बाद में उसे मां कहकर क्षमा मांगने पर किरण देने अकबर को क्षमादान दिया, यह घटना सुनाई तो खानखाना ने कहा कि *अकबर व प्रताप के चरित्र में जमीन आसमान का अंतर है।*
प्रताप के चरित्र की महानता पर नतमस्तक होकर उस कवि रहीम ने कहा-
*धरम रहसी,रहसी धरा,*
*खप जासी खुरसाण।*
*अमर विशंभर ऊपरै,*
*राख नहचौ राण।।*
और वह बिना युद्ध किए ही मेवाड़ से लौट गया।