*श्रुतम्-213*
*छोटी सेवाओं से खींची बड़ी लकीर*
संघ से प्रेरित प्रकल्पों की छोटी-छोटी सेवाएं भी समाज में अपनी विशिष्ट छाप छोड़ती है।
इन छोटी कहीं जाने वाली सेवाओं ने प्रायः बड़ी लकीर खींची है।
महाराष्ट्र के अकोला की *बाल संचयिनी* ने सेवा बस्तियों के 500 लड़कों और लड़कियों को अपनी अपनी स्वल्प धनराशि की नियमित बचत के लिए प्रेरित किया है। यह बचत वर्ष में ₹3000 से अधिक बैठती है। इस बचत का उपयोग अगले वर्ष के अध्ययन के लिए पुस्तकें और विद्यालय का गणवेश खरीदने के लिए किया जाता है।
नागपुर शाखा के 7 विभागों से संबद्ध 7 सेवा बस्तियों में सर्वांगीण विकास समितियां गठित की गई है। स्वच्छता व वृक्षारोपण के अभियानों में, चिकित्सा केंद्रों, संस्कार केंद्रों, साक्षरता वर्गों तथा महिला मंडलियों की गतिविधियों के संचालन में स्थानीय नगरवासियों का उत्साहपूर्ण श्रम सेवा सहयोग नियमित रूप से मिल रहा है।
महापुरुषों की जयंती उनकी पुण्यतिथियों, सामाजिक और धार्मिक आयोजनों के साथ शारीरिक व बौद्धिक प्रतियोगिताओं का आयोजन भी निरंतर किया जाता है। इस संबंध में खामगांव जिले का आमसारी गांव तथा नयापुरा की पांढरडोडी बस्ती ने प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।
*वर्तमान में हम भी जहां निवास करते हैं, उस मोहल्ले, बस्ती और गांव में इस तरह के छोटे-छोटे प्रकल्प प्रारंभ करके राष्ट्र सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।*