*श्रुतम्-146*
*जिन्होंने हमें गुलाम बनाया उनके समारोह का आनंद कैसा?*
वर्ष प्रतिपदा के शुभ दिन केशव हेडगेवार का जन्म नागपुर के एक गरीब ब्राह्मण कुल में हुआ । यह घराना नागपुर के अत्यंत प्राचीन और सनातनी घरानों में से एक था। पूर्वज थे निजाम राज्य के कंदकुर्ती गांव के।
वेदभ्यास और पंडिताई ही कुल की पैतृक संपत्ति थी। प्राचीन काल से व्यवसाय एक ही चला आया था विद्यार्जन और विद्यादान। पिता पंडित बलिराम पंत और माता रेवतीबाई के 3 पुत्र हुए । सबसे बड़े महादेव शास्त्री, मंझले सीताराम पंत और सबसे छोटे केशव राव । इनमें से महादेव राव का स्वर्गवास बहुत पहले हो गया था। भोसलों की राजधानी नागपुर में विजय की गुड़ी फहराते समय जन्मा हुआ यह बालक ही हिंदू राष्ट्र का दृष्टा एवं संगठन का सृष्टा इस चरित्र का नायक डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार था । बाल्यकाल से ही केशव में राष्ट्र धर्म संस्कृति के विचार प्रस्फुटित थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नागपुर के महाल के नील सिटी हाई स्कूल में हुई 22 जून अट्ठारह सौ 97 को इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के राज्यारोहण के 60 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विद्यालय में मिठाई बांटी गई तो केशव ने वह मिठाई कूड़े में फेंक दी और पूंछने पर जवाब दिया कि जिन्होंने हमें गुलाम बनाया उनके समारोह का आनंद कैसा?
*आज की पीढ़ी में भी बाल्यावस्था से ही देशभक्ति का भाव जगाने की परम आवश्यकता है।*