एक वैज्ञानिक दोस्त ने मुझे एक यंत्र दिया, जिससे मैँ किसी के दिल की बात सुन सकता था।
यंत्र लगाकर एक मित्र के घर गया, दरवाजा खुलते ही उसके मन की आवाज आई-ः घोंचू सुबह!सुबह ही टपक पड़ा।अब तो हलवे मेँ आधा इसको देना ही पड़ेगा।
औफिस मेँ जैसे ही बॉस के सामने लगाया, बॉस के दिल की आवाज आई-ः इस लड़के से अभी और काम करवा सकता हूँ,
कोशिश करते है थोड़ा हड़काकर और ज्यादा काम निकलवा ले। इन्क्रिमेंट भी कूछ दिन और टरका देता हूँ।
दुकान वाले के पास गया तो आवाज आई-ः एक नंबर का कंजर है ससुरा, बिना बार्गेनिंग के तो कूछ खरीदेगा नहीँ।
जैसे घर पहुँचा बिवी की अंतरात्मा की आवाज आई, उफ!फिर खाली हाथ आये ये, ना चुड़ी,ना साड़ी ना लिपिस्टिक।
माँ के पास गया तो आवाज आई-ः लगता है बेटा थक गया है काम करके, पहले बेटे को आराम करने को बोलती हूँ फिर कूछ खाने के लिये लाती हूँ