*श्रुतम्-203*
*देश के किसी कोने में हिंदू समाज पर आया संकट संपूर्ण हिंदू समाज का संकट है*
*सत्ता का क्रूर चेहरा : ज्वलंत प्रश्न*
प.बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद मुस्लिम जेहादियों द्वारा हिंदुओं के साथ की गई हिंसा से पीड़ित ,बिलखते परिवार, टूटे मकान ,महिलाओं की लुटी अस्मत , आंसुओ व रक्त की बहती धार मानो पूछ रही है कि चुनाव तो 5 राज्यों में हुए थे पर हिंदुओं के साथ ये अत्याचार केवल बंगाल में ही क्यों ?
*ममता के राज में सत्ता के साये में जेहादियों द्वारा किया कृत्य जानें* ……”
बंगाल में हिंदुओं की हिंसा से प्रभावित 3500 गांव 10000 घर ,
4500 पीड़ित कार्यकर्ता , 40 हजार पीड़ित अन्य हिन्दू , 25 मौतें , सेक्सुअल उत्पीड़न व हिंसा से पीड़ित 142 महिलाएं ,
4500 लुटे घर , हिन्दू संगठनों के नष्ट किये 11 कार्यालय , पड़ौसी राज्य में पलायन किये 11200 लोग ……।
– नंदीग्राम में 42 मकान बुलडोजर से तोड़े
– सीमावर्ती क्षेत्र में गांव खाली करने की धमकी
– रहना व जान बचाने के नाम पर धन वसूली
– पुलिस का मूकदर्शक बने रहना
-पुलिस द्वारा एफ आई आर नहीं लिखना
आदि आदि ।
*विपक्ष की साम्प्रदायिक भूमिका*
- भाजपा के अलावा सभी पार्टियों की साम्प्रदायिक भूमिका रही है क्योंकि दंगाइयों का धर्म पता चल गया कि वो मुस्लिम हैं ।
- हर छोटी घटना ही नहीं बल्कि केवल किसी के वक्तब्य पर भी tv चैनलों पर कोहराम मचाने वाले नेता भी इस हिंसा पर चुप रहे
- बंगाल में वामपंथी व कांग्रेस ने ( जो वहां 55 वर्ष तक सत्ता में रहे ) दंगा रोकने की अपील तक नहीं की
4.विपक्ष ने ममता से कोई सवाल ही नहीं किया
5..बात बात में राष्ट्रपति जी से मिलने जाने वाले विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति जी से मिलने की कोशिश ही नहीं की
- विपक्षी पार्टियां बंगाल के पीड़ित हिंदुओ से मिलने नहीं गई ।
7.विपक्ष ने निंदा तक नहीं की
8.जरा सी बात पर दिल्ली में प्लेकार्ड लेकर प्रदर्शन
करने वाले नेता भी नदारद थे ।
आखिर क्यों ??…
( ..क्योकि पीड़ित हिन्दू थे…)
*मीडिया व लिब्राण्डु गैंग का पलायनवादी व सलेक्टिव रोल*
– ” हम ग्राउंड जीरो से बोल रहे हैं ” कितने चैनलों से अपने सुना
– कितने मीडिया हाउस ने *prime time* चलाया
– कौन मीडियाकर्मि पीड़ितों के बीच गया
– सनसनीखेज खबर बनाने के लिए इन दिनों अस्पताल में बेड , परेशान ब्यक्ति को खोजने वाले पत्रकार बंगाल के इन पीड़ितों के बीच क्यों नहीं गए
*वाह क्या बात* :- अखलाक ,पहलुखां की मृत्यु पर आसमान सर पर उठाने वाले पत्रकार ,बुद्धिजीवी, कलमघिस्सू गायब
*और तो और* :- असहिष्णुता , डर लगता है ,प्लीज सेव ह्यूमैनिटी , अवार्ड वापसी …कहीं हैं ये सेलिब्रिटी कहे जाने वाले लोग ?!?
कहीं नहीं हैं ये । आखिर क्यों ? इनका सलेक्टिव रोल लोकतंत्र में घातक है ।
*सकारात्मक प्रयास भी*
- बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत नड्डा व केंद्रीय राज्यमंत्री व्ही मुरलीधरन बंगाल के पीड़ितों से मिलने गए
- राज्यपाल महोदय भी पीड़ितों के बीच गए ।
3. राष्टीय महिला आयोग–जनजाति–अनुसूचित– मानवाधिकार आयोग की टीम पंहुची
- न्यायिक व संवैधानिक कदम भी उठाए गए हैं
5.कई हिंदूवादी सामाजिक संगठन उनके बीच सक्रिय हुए हैं
- पीड़ितों की सहायता व पुनर्वास हेतु देशभर से सहायता लेकर योजना बनी है ।
*लेकिन बड़ा प्रश्न तो है ही*:-
कि ये हिंसा केवल चुनाव से सम्बंधित है या कोई भावी बड़ा देशविरोधी षड्यंत्र ।