: *श्रुतम्-296*
*द्वादश ज्योतिर्लिंग*
*4.ओम्कारेश्वर*
भगवान शिव के *द्वादश ज्योतिर्लिंग में चौथा ओम्कारेश्वर* है।
ओमकार का उच्चारण सर्वप्रथम *स्रष्टिकर्ता ब्रह्मा* के मुख से हुआ था।
*वेद पाठ का प्रारंभ भी ॐ* के बिना नहीं होता है।
उसी *ओमकार स्वरुप ज्योतिर्लिंग श्री ओम्कारेश्वर* है, अर्थात यहाँ भगवान शिव ओम्कार स्वरुप में प्रकट हुए हैं।
ज्योतिर्लिंग वे स्थान कहलाते हैं जहाँ पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे एवं ज्योति रूप में स्थापित हैं।
प्रणव ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से समस्त पाप भस्म हो जाते है।
पुराणों में *स्कन्द पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण* में ओम्कारेश्वर क्षेत्र की महिमा उल्लेख है।
ओम्कारेश्वर में कुल *६८ तीर्थ* है।
यहाँ *३३ कोटि देवता* विराजमान है।
दिव्य रूप में यहाँ पर १०८ प्रभावशाली शिवलिंग है।
*८४ योजन* का विस्तार करने वाली माँ नर्मदा का विराट स्वरुप यहाँ प्रकट होता है।
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग *मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर इंदौर से ७७ किमी की दुरी* पर है एवं यह ऐसा एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जो नर्मदा के उत्तर तट पर स्थित है।
भगवान शिव प्रतिदिन तीनो लोकों में भ्रमण के पश्चात यहाँ आकर विश्राम करते हैं।
अतएव यहाँ प्रतिदिन भगवान शिव की विशेष शयन व्यवस्था एवं आरती की जाती है तथा शयन दर्शन होते हैं।