स्वाधीनता का अमृत महोत्सव
मध्यभारत के गुमनाम नायक (Unsung Heroes) ……
पं. श्रीकृष्ण सरल
अपने क्रान्तिकारी लेखन से विश्व-कीर्तिमान स्थापित करने वाले पं. श्रीकृष्ण सरल का जन्म 9 जून सन् 1921 को मध्यप्रदेश के अशोक नगर में हुआ था। बचपन से ही वह कविताएँ लिखने लगे थे। भारतीय क्रांतिकारियों पर अनेक पुस्तकें लिखीं। सरलजी ने अपना सम्पूर्ण लेखन भारतीय क्रांतिकारियों पर ही किया है उन्होंने लेखन में कीर्तिमान स्थापित किये।
श्रीकृष्ण सरल के मन में क्रान्तिकारियों के प्रति पहले से ही अनुराग था। बलिदानी भगतसिंह पर महाकाव्य लिखने के बाद उन्होंने ‘अजेय सेनानी चन्द्रशेखर आजाद’ ‘सुभाषचन्द्र’ बलिदानी अशफाक उल्ला खाँ ‘विवेक श्री’ ‘स्वराज्य तिलक’ ‘क्रांति ज्वाला’ ‘बागीकर्तार’ महाकाव्य लिखे। देशभक्ति भावना से ओत-प्रोत सरल जी ने देशभक्तों को ही लेखन का केन्द्र बनाया। उनकी क्रांति कथाएँ भारतीय क्रांतिकारियों की एनसाइक्लोपीडिया है जिसमे लगभग दो हजार क्रांतिकारियों के जीवन-वृत्त सम्मिलित हैं। नेताजी सुभाष पर श्री सरल ने पन्द्रह ग्रन्थों का प्रणयन किया। उनका कार्य स्थल उज्जैन रहा।
सरल जी का लेखन इतिहास जैसा प्रामाणिक और शोधपूर्ण है। लेखन के लिए उन्होंने देश के भीतर और देश के बाहर अनेक यात्राएँ कीं। उनका संपूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित था। उन्होंने स्वयं लिखा है-
‘कर्तव्य राष्ट्र के लिए समर्पित हों अपने, हो इसी दिशा में उत्प्रेरित चिन्तन धारा
हर धड़कन में हो राष्ट्र, राष्ट्र हो सांसो में, हो राष्ट्र-समर्पित मरण और जीवन सारा।‘
जिनकी साहित्य साधन गहन तपस्या थी, राष्ट्र जिनकी सांसों में बसता था, ऐसे सरल जी का देहान्त 2 सितंबर 2000 को उज्जैन में हुआ।