*श्रुतम्-226*
*प्रताप की कूटनीतिक विजय*
प्रताप की *भीषण प्रतिज्ञा* का व्यापक प्रभाव हुआ। सारे *जनजाति क्षेत्र के भील वनवासी* प्रताप की सेना में शामिल होने लगे।
*मेरपुर पानरवा के भीलू राणा पूंजा* अपने दल बल के साथ प्रताप की सेना में शामिल हो गए। इन्हीं वीर सैनिकों ने वनवास काल में प्रताप का साथ दिया था।
अफ़गानों से मेवाड़ का रिश्ता प्राचीन समय से है। बप्पा रावल ने गजनी व गौर प्रदेश की राजकुमारियों से विवाह किया था। इनसे उन्हें 140 संताने प्राप्त हुई।
वे नौशेरा पठान कहलाए। इन्होंने हमेशा मेवाड़ के पक्ष में काम किया।
उन्हीं *नौशेरा पठानों की संतान अफगान हकीम खां सूरी* भी अपनी सैन्य शक्ति के साथ प्रताप के साथ मिल गया।
अकबर का साम्राज्य पूरे भारतवर्ष में फैल गया था। सारे राज्य उसके समक्ष झुक गए। किंतु मेवाड़ झुका नहीं था। अकबर ने कूटनीतिक प्रयास प्रारंभ किए। उसने *नवंबर 1572 ई. में जलाल खाँ कोरची* को सन्धि वार्ता हेतु भेजा। प्रताप को मालूम था कि युद्ध होकर रहेगा किंतु तैयारी हेतु समय चाहिए। इसलिए कूटनीति का जवाब कूटनीति से दिया। जलाल खां को पुचकार कर भेज दिया।
अब दूसरे संधिकार के रूप में *आमेर का राजकुमार कुंवर मानसिंह जून 1573 ई.* में वार्ता करने मेवाड़ में आया। प्रताप ने उदयसागर की पाल पर उसका स्वागत किया। किंतु मानसिंह अपने प्रयासों में सफल नहीं हो पाया। वह असफल होकर लौट गया।
प्रताप और अकबर के बीच हजारों नर नारियों के बलिदान व जौहर की लपटों की दीवार थी। हजारों ललनाओं के मांग के सिंदूर को पार कर अकबर से समझौता करना संभव नहीं था। तीसरे राजदूत *आमेर के राजा भगवंतदास सितंबर 1573 ई.* में आए। उन्हें भी प्रताप ने ससम्मान रवाना कर दिया। और उसके पश्चात आया *अकबर के नवरत्नों में से एक टोडरमल* ।
*दिसंबर 1573* में प्रताप ने चिकनी चुपड़ी बातें कर उन्हें वापिस भेज दिया। चार संधिवार्ताओं का कूटनीतिक उत्तर देकर प्रताप ने युद्ध की तैयारी का समय प्राप्त कर लिया। इस बीच अपनी आगे की युद्ध तैयारी उन्होंने ठीक से पूर्ण कर ली।
प्रताप ने युद्ध परिषद की बैठक बुलाई। विचार विमर्श के बाद निर्णय हुआ कि *छापामार पद्धति* से ही युद्ध करना ठीक रहेगा। उधर अकबर ने अजमेर आकर मानसिंह व आसिफ खान के नेतृत्व में 50000 की सेना को मेवाड़ पर आक्रमण करने हेतु रवाना कर दिया। मानसिंह मांडलगढ़ होकर बनास नदी के किनारे मोलेला ग्राम पहुंच गया।
*प्रताप ने शक्ति संग्रह के साथ साथ रणनीति और दूरदृष्टि से संपूर्ण योजना का निर्माण किया।*