भारत गौरव गान भाग 5 || विश्वगुरु भारत || श्रेष्ठ राजा-समाज सुधारक-वसुधैव कुटुम्बकम ||
14 – राजेश्वर
जहां हुए हैं राजयोगेश्वर बुद्ध अहिंसा के भगवान।
जिनके अनुयायी हैं अब भी बर्मा लंक चीन जापान।।
जहां हुए हैं अशोक जैसे महा सुभट सम्राट महान।
जिनके पुत्र महेन्द्र हुए हैं धर्म प्रचारक यती जवान।।
साथ संघमित्रा भगिनी ले लंका द्वीप किये प्रस्थान।
जहां हुए हैं चन्द्रगुप्त से शूर सम्राट महा बलवान।।
जहां हुए हैं विक्रम, भोज सु-भूप महा ज्ञानी गुणवान।
जहां हुए हैं आल्हा औ ऊदल से भूप वीर-मलखान।।
जहां हुए हैं भूप कुंवरसिंह क्रान्तिकारी जवान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
15 – संत सुधारक
जहां भर्तृहरि बना राजयोगी कर राज सुखों का त्याग।
जहां शंकराचार्य, जगतगुरु बना, बुझाकर नास्तिक आग।।
जहां अहिंसा परमधर्म का महावीर ने छेड़ा राग।
जहां संत तुलसी, ज्ञानेश्वर, पूरण लिये महा वैराग।।
जहां समर्थ, सूर, नानक, कवि संत हुए ले नव अनुराग।
जहां हुए हैं रामतीर्थ, देवेन्द्रनाथ प्रिय जती पराग।।
जहां राममोहन, रामानुज, तुकाराम थे सु वीत राग।
परमहंस, अरविन्द, विवेकानन्द जलाये ब्रह्म-चिराग।।
जहां हुए गुरु विरजानन्द औ दयानन्द श्रुति-प्राण।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
16 – बसुधैव कुटुम्बकम्
भू-मण्डल भर गये भारती लेकर अपना पोत विमान।
मिश्र सुमात्रा, जावा ऑस्ट्रेलिया में था जिनका संस्थान।।
कोलम्बस से प्रथम गई थी, अमरीका भारत सन्तान।
वहां उलूपी से अर्जुन ने जाकर ब्याह किया था मान।।
धृतराष्ट्र औ पाण्डु ने किये थे विवाह काबुल और ईरान।
रानी हेलेन, गन्धारी आदिक है ये इतिहास प्रमाण।।
सन्धि सिकन्दर ने पुरु से की सेल्यूकस जब चले यूनान।
चन्द्रगुप्त से बेटी ब्याही, दे दहेज में काबुल दान।।
इसी तरह वसुधैव कुटुम्ब है आर्यावर्त महान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
17 – आश्रयदाता
अत्याचारी से बचकर जब विदेशगण ले भागे प्राण।
भारत में वे आए तो आर्यों ने दिया उन्हें सुस्थान।।
आकर ली थी शरण हिन्द में कभी अरब भू की सन्तान।
हजरत खुद कहते थे खुशबू आत हिन्द से मानसवान।।
ईसा इसराइल से आये काशी, पाये वैदिक ज्ञान।
और पारसी आये तो गुजरात नरेश बचाई जान।।
अल्लाफी दल आये तो दाहर ने उन्हें किया सम्मान।
सतरह बार दिया गोरी को पृथ्वीराज ने जीवन दान।।
लेकिन भूला दिये कितनों ने हिन्द के वे एहसान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।