भारत गौरव गान भाग 6 || विश्वगुरु भारत || श्रेष्ठ गुरुजन-हिंदुत्व के रक्षक-ब्रह्मचर्य महिमा||
18 – संयमी
जहां हुए संयमी पुरुष प्रिय देव तुल्य सद चरित्रवान।
राम, लखन ने पत्निव्रत हित तज दी थी शूर्पनखी शान।।
माता कह कर अर्जुन ने था किया उर्वशी का सम्मान।
कुनाल ने आँखे फुड़वाली रख कर माँ-बेटे का मान।।
पुरु ने बहिन बनाली थी रिपु रुस्तम को रख लाज युनान।
वीर शिवाजी ने मुस्लिम तिय को कह मात किया सम्मान।
दयानन्द ने किसी नारी से यूं छू जाने पर अन्जान।
तीन दिवस तक किया प्रायश्चित करके अनशन धर प्रभु ध्यान।।
जिनके चरित्र बल से ही फिर जागा हिन्दोस्तान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
19 – गुरुजन
जहां हुए गुरु वसिष्ठ, विश्वामित्र, वाल्मिकी गुरु गुणवान।
राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन, लव, कुश, जिनसे बने महान।।
जहां हुए गुरु द्रोणाचार्य महा विद्वान महा बलवान।
कौरव-पाण्डव को जिसने था दिया सकल रणकौशल ज्ञान।।
चाणकने तो चन्द्रगुप्त को बना दिया सम्राट सुजान।
समर्थ गुरु ने वीर शिवा को बना दिया था भूप जवान।।
नानक गुरु गोविन्द बनाये सिक्खों को शूर सन्तान।
विरजानन्द ने दयानन्द को बना दिया गुरु सकल जहान।।
लाजपत ने दिए भगतसिंह क्रान्तिकारी महान्।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
20 – हिन्दुत्व के रक्षक
जहां हुए राणा प्रताप नृप, दानी भामा शाह महान।
और हुए हैं वीर-शिवाजी हिन्दू कुल रक्षक बलवान।।
जिनके आगे पड़ी रह गई फीकी सारी मुगली शान।
बाबर और हुमांयू का रह गया अधूरा अरबी-गान।।
जहांगीर और शाहजहां के भी रह गए तड़प कर प्राण।
अकबर औ औरंगजेब के पूरे नहीं हुए अरमान।
रहा नहीं नादिर, गोरी, गजनी, तैमूर, का नाम निशान।।
औ शक हूण, सिकन्दर भी ले भागे अपनी अपनी जान।।
हरि सिंह नलुवा के भय से भागे अफगान पठान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
21 – ब्रह्मचर्य महिमा
जहां हुए हैं ब्रह्मचर्य के पालक व्रतधारी भारी।
गाता है इतिहास अमर उन सबकी गुण गरिमा सारी।।
शर शैया पर भी उपदेश दिया था भीष्म ब्रह्मचारी।
ब्रह्मचर्य-बल से ही उसने अपनी प्रबल मृत्यु हारी।।
जहां ब्रह्मचारी हनुमान बना बजरंग गदाधारी।
ब्रह्मचर्य-बल से ही उसने रावण की लंगा जारी।।
दयानन्द सम बाल-ब्रह्मचारी से सब दुनियां हारी।
कांप उठा था जिन के आगे कर्णराव सम बलकारी।।
जिसने रथ को रोक, दिया ब्रह्मचर्य-बल का प्रमाण।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।