*श्रुतम्-148*
*मातृभूमि की वंदना यदि अपराध है तो वह अपराध एक बार नहीं असंख्य बार करूंगा*
नील सिटी हाई स्कूल से नाम पृथक होने के बाद कुछ शिक्षकों एवं हित चिंतकों ने केशव से अपना हठ छोड़ देने का अनुरोध किया । केशव ने कहा कि “जिस मातृभूमि ने अपने समाज का सहस्रों वर्षों से धारण और पालन-पोषण किया है उस मातृभूमि की वंदना का ह्रदय में उठने वाला भाव न तो छुपाया जा सकता है और न दबाया जा सकता है ।”
“विदेशी सरकार की सत्ता में मातृभूमि की वंदना यदि अपराध है तो वह अपराध एक बार नहीं असंख्य बार करूंगा और उसके कारण उत्पन्न सभी संकटों और यातनाओं को सहर्ष झेलूंगा”
नागपुर के विद्यालय से नाम कटने के बाद केशव अपने चाचा जी के यहां रामपायली आ गए वहां यवतमाल के श्रीहरि अणे से मिलना हुआ । उनके सहयोग से यवतमाल की राष्ट्रीय शाला में केशव को प्रवेश मिला । यह शाला राष्ट्रीय आंदोलन के लिए युवा पीढ़ी का निर्माण करने का कार्य करती थी इसलिए अंग्रेजी सरकार ने जल्दी ही इस विद्या गृह को बंद करवा दिया ।
इसके बाद केशवराव पुणे गए और वहां के राष्ट्रीय स्कूल से वे मैट्रिक उत्तीर्ण हुए । कुछ काल प्राइवेट स्कूलों में नौकरी करते हुए और घर पर लड़कों को पढ़ाते हुए उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए कुछ पैसे इकट्ठे किए और 1910 में कोलकाता के नेशनल मेडिकल कॉलेज में भर्ती हो गए । यहां प्रवेश लेने का मुख्य उद्देश्य क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़कर स्वतंत्रता संग्राम के लिए कार्य करना था।