26/11 के बाद रतन टाटा ने अपने भारत और विदेश के होटलोँ की श्रंखला के पुन:र्निर्माण के लिये टेँडर जारी किये उसके लिये काफी कम्पनियोँ ने एप्लाई किया जिसमेँ कुछ पाकिस्तानी कम्पनियाँ भी शामिल थी दो पाकिस्तानी कम्पनियाँ अपनी बोली को मज करने केलिये बॉम्बे हाउस ( Head office of Tata ) भी आई रतन टाटा से मिलने बिना अपॉइंटमेँट के क्योँकि टाटा ने उनको अपॉइंटमेँट के लिये टाईम नहीँ दिया उनको काफी देर तक बॉम्बे हाऊस के रिसेप्शन पर वेट कराया गया फिर टाटा की तरफ से बिजी होने का मैसेज देकर भगा दिया गया दोनोँ उद्योगपति मुम्बई से दिल्ली गये और अपने उच्चायुक्त से बात की और एक मंत्री के जरिये टाटा को फोन लगवाया मंत्री ने टाटा से उनको अपॉईँटमेँट देने की रिक्यूस्ट की तो टाटा ने कहा “तुम बेशर्म हो सकते हो लेकिन मैँ नही.. ” और फोन काटदिया…. कुछ महिनोँ बाद पाकिस्तानी सरकार ने रतन टाटा को एक लाख टाटा सूमो का ऑर्डर दिया तो रतन टाटा ने पाकिस्तान को एक टायर तक देने से मना कर दिया….. राष्ट्र हमेशा सर्वोपरि होता है ये रतन टाटा को पता है…