श्रुतम्-23
स्वस्थ जीवन के सामान्य सूत्र

जीवन में यदि स्वस्थ रहना है तो कुछ नियमों का पालन करना होगा।
भोजन और पानी हमेशा बैठकर के ग्रहण करें
बैठकर के भोजन करने से पेट में रक्त का संचार तीव्र गति से होता है जिसके कारण भोजन का पाचन भी अच्छा होता है तथा बैठ कर के पानी पीने से घुटने दर्द नहीं करते ।
भोजन को पीना और पानी को खाना
हमने कहावत तो सुनी ही होगी की भोजन को पीना चाहिए और पानी को खाना चाहिए क्योंकि हमारे मुंह में एक विशेष प्रकार की लार का निर्माण होता है जिसकी प्रकृति क्षारीय होती है ,जो भोजन पाचन में अत्यंत सहायक है। जब हम घुंट-घूंट पानी तथा अच्छी तरह चबाकर भोजन करते हैं तो मुंह में बनने वाली लार भी हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में अंदर जाती है जो अत्यंत आवश्यक है। जिनके वायु विकार, एसिडिटी , अपच, कब्ज आदि समस्याएं रहती हैं उनके लिए अत्यंत रामबाण है
ठंडा पानी भूल कर के भी नहीं पिएँ
जब हम अधिक ठंडा पानी पीते हैं तो हमारा पेट भी ठंडा हो जाता है जिसके कारण हृदय का रक्त भी ठंडा हो जाता है और मस्तिष्क भी ठंडा होने से हृदयाघात होने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए अधिक ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए विशेष रुप से फ्रिज का तो कभी नहीं।
भोजन के 1 घंटे बाद पानी पीना चाहिए
जब हम भोजन करते हैं तो सारा भोजन आमाशय अथवा जठर में एकत्रित होता है जहां पर जठराग्नि द्वारा उसका पाचन होता है जितनी अधिक जठराग्नि होती है उतना ही अच्छा भोजन का पाचन होता है और भूख लगती है । जब हम भोजन के तुरंत बाद पानी पीते हैं तो जठराग्नि मंद हो जाती है जिसके कारण भोजन का पाचन भी मंद हो जाता है तथा भोजन सड़ने लगता है जिसके कारण से पेट की अनेकों बीमारियों को जन्म मिलता है । यदि आवश्यक हो तो भोजन के 40 मिनट पूर्व पानी पी सकते हैं ।