: *श्रुतम्-266*
*गुरु-पूर्णिमा*
🚩भारतीय संस्कृति में *गुरु-पूर्णिमा* एक महत्त्वपूर्ण अवसर है, इसे *व्यास पूर्णिमा* भी कहते हैं।
🚩व्यास महर्षि ने हमारे राष्ट्र-जीवन के *श्रेष्ठतम गुणों* निर्धारण करते हुए तथा *महान आदर्शों* को चित्रित करते हुए, *तत्त्व तथा विचारों का समन्वय* करते हुए, न केवल भारतवर्ष अपितु सम्पूर्ण मानव जाति का मार्गदर्शन किया ।
इसलिए वेदव्यास जगत के गुरु हैं। इसलिये कहा गया है– *व्यास नारायण स्वयम्।*
इसी दृष्टि से व्यास पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है।
🚩जिसे हमने *श्रद्धा-पूर्वक मार्गदर्शक या गुरु माना* है, उसकी हम इस दिन पूजा करते हैं, उसके सामने अपनी भेंट चढाते हैं, उसे
आत्म-निवेदन करते हैं और भविष्य के लिए आशीर्वाद मांगते हुए, हम अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
🚩गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं-
*गुरु बिन होए न ज्ञान।*
🚩कबीरदास कहते हैं-
*गुरु बिन ज्ञान न उपजे*
*गुरु बिन मिले न मोष।*
*गुरु बिन लखे न सत को*
*गुरु बिन मिटे न दोष।।*
*गुरु गोविंद दोऊ खड़े*
*काके लागू पाय।*
*बलिहारी गुरु आपने*
*गोविंद दियो बताय।।*
🚩प्राचीन शास्त्रों में भी कहा गया है-
*गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः*
*गुरुर्देवो महेश्वरः ।*
*गुरुः साक्षात् परब्रह्म*
*तस्मै श्री गुरवे नमः ॥*
*स्थावरं जंगमं व्याप्तं* *यत्किञ्चित् सचराचरम् ।*
*तत्पदं दर्शितं येन*
*तस्मै श्री गुरवे नमः॥*
*ज्ञानशक्ति समारूढः*
*तत्त्वमाला विभूषित:।*
*भुक्ति मुक्ति प्रदाता च*
*तस्मै श्री गुरवे नमः।।*
🚩 *मनुष्य जीवन में गुरु की आवश्यकता*
– बिना गुरु की कृपा से मनुष्य जीवन में आगे बढ़ना बहुत कठिन है।
– विवेक जागृत करने के लिए जीवन में गुरु की आवश्यकता है।
– संस्कार देने का कार्य गुरु ही करते हैं।
– जीवन में माता ही प्रथम गुरु होती है इसलिए कहा गया है- *मातृ देवो भव:।*
– पिता भी हमारा जीवन गढते हैं इसलिए कहा गया है- *पितृ देवो भव:।*
– विद्यालय में गुरु हमारे जीवन को दिशा देते हैं इसलिए कहा गया है- *आचार्य देवो भव:।*
– गुरु दो शब्दों का समुच्चय है, *गु अर्थात् अंधकार रु अर्थात मिटाने वाला।*
– हमारे जीवन में अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञानरूपी विवेक जागृत करने वाला ही सच्चा गुरु है।
– जिससे जीवन में सीखने को मिले वही गुरु है, कहा जाता है भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु थे।
– सच्चा पथ प्रदर्शक ही गुरु होता है।
– सच्चा गुरु हमारे उद्देश्य एवं आदर्श की प्रतिमूर्ति होता है।